Facts on McMahon Line : दोस्तों आज हम जानेंगे की क्या है मैकमोहन रेखा और क्यों इस रेखा को बनाया गया भारत और चीन के बीच। तो चलिए दोस्तों जानते हे इस रेखा के बारे में।

मैकमोहन रेखा का नाम मैकमोहन कैसे पड़ा, किस जगह बनाई गए हे ये रेखा :
मैकमोहन रेखा भारत और चीन के बीच बनाई गयी है। यह रेखा भारत और चीन के बीच स्पष्ट सीमा रेखा का निर्धारण करती है। सर हेनरी मैकमोहन ने मैकमोहन रेखा का शोधन किया था, जब वह तत्कालीन ब्रिटिश भारत सरकार में विदेश सचिव थे। इसी वजह से इस रेखा का नाम मैकमोहन रखा गया था।
क्यों हुआ शिमला समझौता एवं क्या है शीमला समझौता :
यह रेखा 1914 के शिमला समझौते का परिणाम थी, जो की भारत और तिब्बत के बीच हुआ था। यह पूर्वी-हिमालय क्षेत्र के चीन अधिकृत क्षेत्र एवं भारतीय अधिकृत क्षेत्र के बीच की सीमा बताती है। अत्यधिक ऊंचाई वाला है यह क्षेत्र। मैकमोहन रेखा की लम्बाई 890 किलोमीटर है।
भारत तथा तिब्बत के प्रतिनिधियों के बीच 1914 में स्पष्ट सीमा निर्धारण के लिए शिमला समझौता हुआ था। इसमें चीन भी शामिल हुआ था। उस समय तक तिब्बत एक स्वतंत्र क्षेत्र बन चूका था। इसी कारण तिब्बत के प्रमुख प्रतिनिधियों ने इस समझौते पर अपनी सहमति जताते हुए इसपर अपने हस्ताक्षर किये थे।
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चीनी गणतांत्रिक सरकार के प्रतिनिधि भी शिमला सम्मेलन में शामिल हुए थे, लेकिन उन्होंने तिब्बत की स्थिति और सीमाओं पर मुख्य समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। जिसमें कहा गया था कि तिब्बत चीन के अधीन था। चीनी ने आज तक इस स्थिति को बनाए रखा है और यह भी दावा करते है कि चीनी क्षेत्र हिमालय की तलहटी के आधार पर दक्षिण की ओर भी फैला हुआ है। स्वतंत्र भारत के साथ इस विवाद ने अक्टूबर-नवंबर 1962 की चीन-भारतीय शत्रुता को जन्म दिया।
भारत का मानना है कि जब 1914 में मैकमोहन रेखा की स्थापना हुई थी, तब तिब्बत एक कमजोर लेकिन स्वतंत्र देश था। इसलिए उसे किसी भी देश के साथ सीमा समझौते पर बातचीत करने का पूरा अधिकार था। भारत के अनुसार जब यह खींची गई थी, तब तिब्बत पर चीन का शासन नहीं था, इसलिए भारत और चीन के बीच मैकमोहन रेखा स्पष्ट और कानूनी सीमा रेखा है।
क्या अरुणाचल प्रदेश के तवांग तथा तिब्बत के दक्षिणी हिस्सा हिंदुस्तान का हिस्सा है :
शिमला समझौते के अनुसार, भारत और चीन के बीच यह स्पष्ट सीमा रेखा है। भारत की ओर से ब्रिटिश शासकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग और तिब्बत के दक्षिणी हिस्से को हिंदुस्तान का हिस्सा माना है और इसे तिब्बतियों ने भी सहमति दी थी। इस कारण अरुणाचल प्रदेश का तवांग क्षेत्र भारत का हिस्सा माना गया है।
क्यों नहीं मानता चीन इस रेखा को :
चलिए जानते हे क्यों नहीं मानता मैकमोहन रेखा को चीन। यह भारत और चीन के बीच हमेशा विवाद का विषय रहती है। चीन का अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ जल तथा थल सीमा को लेकर विवाद चलता रहता है। चीन एक ऐसा देश है जो चाहता है कि औपनिवेशिक काल का समय दुबारा आ जाये। जिससे पूरी दुनिया में सिर्फ चीन की बादशाहत कायम हो जाये। इसी वजह से चीन मैकेमोहन रेखा को नहीं मानता।
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