Fact on Yamuna River: दोस्तों आज हम जानेंगे यमुना नदी के बारे में।

यमुना नदी के बारे में:
यमुना नदी विश्व की प्रसिद्ध नदियों में है। यमुना नदी यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है, और प्रयाग राज में गंगा नदी से जाकर मिलती है। यमुना गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है और भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। यमुना नदी उत्तराखंड के निचले हिमालय के बांदीपुरी चोटियों के दक्षिणी-पश्चिमी ढलान पर 6,387 मीटर (20,955 फीट) की ऊंचाई पर यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है। यह 1,376 किलोमीटर (855 मील) की कुल लंबाई की यात्रा करती है, और इसमें 366,223 वर्ग किलोमीटर का ड्रेनेज सिस्टम है।
पुराणिक मान्यताओं के अनुसार यमुना नदी में हर 12 साल में एक हिंदू त्योहार कुंभ मेला आयोजित होता है, जो की प्रयागराज में लगता है। यमुना नदी कई राज्यों को पार करती है जिसमे की हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बाद में दिल्ली से गुजरते हुए, टोंस, चंबल सहित रास्ते में अपनी सहायक नदियों से मिलते हुए जाती है।
यमुना नदी पश्चिमी हिमालय से निकल कर उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की सीमा के सहारे 95 मील का सफर कर उत्तरी सहारनपुर (मैदानी इलाका) पहुँचती है। फिर यह दिल्ली, आगरा से होती हुई प्रयागराज में गंगा नदी में मिल जाती है।
यमुना नदी का पुराणिक महत्व:
गंगा की तरह, यमुना हिंदू धर्म में बहुत पूजनीय है और देवी यमुना के रूप में इन्हे पूजा जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में वह सूर्यदेव, सूर्य की पुत्री और मृत्यु के देवता यम की बहन हैं, इसलिए उन्हें यमी के नाम से भी जाना जाता है। लोकप्रिय किंवदंतियों के अनुसार, इसके पवित्र जल में स्नान करने से व्यक्ति मृत्यु की पीड़ा से मुक्त हो जाता है। यमुना नाम संस्कृत में “यम” से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘जुड़वां। इसलिए इसे जुड़वाँ कहा जा सकता है। ऋग्वेद में कई स्थानों पर यमुना का उल्लेख है, जिसकी रचना वैदिक काल के दौरान हुई थी।
नदियों की देवी, जिसे हम यामी के नाम से भी जानते है, यम की बहन जो मृत्यु के देवता है, और सूर्य की पुत्री है।
यमुना नदी कृष्णा के आसपास की धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है और दोनों की विभिन्न कहानियां हिंदू धार्मिक ग्रंथों में है।
यमुना नदी में प्रदुषण:
इतना समृद्ध इतिहास होने बावजूद भी यमुना नदी भारत की सबसे प्रदूषित नदी है। केंद्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ऑफ़ इंडिया के अनुसार यमुना का लगभग 600 किमी क्षेत्र प्रदूषित है। इतना ही नहीं दिल्ली में ही यमुना नदी में अधिकांश कचरा मिलता है साथ ही यमुना नदी में हानिकारक कीचड़ और सीवेज भी मिलता है।
दिल्ली के निचे के हिस्से में, चोकिंग की वजह से यमुना की स्थिती और भी ख़राब हो जाती है। सरकार के विविध स्तर पर नदी के स्वास्थ्य को लेकर मुद्दा उठाया जाता है लेकिन समस्या अनसुलझी रह जाती है और यह हर दिन बढती जा रही है।
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