फुटबॉल खेल के कुछ नियम और जरूरी जानकारी के बारे में जाने, और फुटबॉल खेल को समझने की कोशिश करें।
फुटबॉल एक ऐसा खेल है, जिसे सभी लोग को पसंद करते हैं, लेकिन उनमें से खेलना बहुत लोग कम लोगों को आता है। वही फुटबॉल पर सट्टेबाजी का खेल भी खेला जाता है। फुटबॉल बेटिंग भारत में काफी प्रचलित है। फुटबॉल एक ऐसा खेल है, जिसे क्रिकेट जितनी लोकप्रियता दी जाती है। फुटबॉल पर सट्टेबाजी का खेल खेलने के लिए काफी सारी फुटबॉल बेटिंग साइट हैं। इन साइटों की फुटबॉल बेटिंग ऐप्स भी है। भारत में फुटबॉल बेटिंग ऐप बेटवे पर सट्टेबाजी का खेल खेला जाता हैं।
फुटबॉल पर बेट लगाएं तो सबसे पहले फुटबॉल से जुड़ी जानकारी और नियम के बारे में जरूर जान लें। तो चलिए आपको बताते है कि फुटबॉल के बारे में जरूरी बाते और फुटबॉल के नियम।
फुटबॉल खेल में 2 टीमें होती है, वह टीमें एक दूसरे के विपक्ष में खेलती है ,इस खेल को खेलने के लिए हम हाथ का इस्तेमाल नहीं कर सकते। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि फुटबॉल इसका मतलब सिर्फ अपने पैरों का इस्तेमाल करके गेंद को गोल करने की कोशिश करनी होती है, और यदि किसी टीम का गोल हो जाता है, तो उसे 1 स्कोर प्राप्त होता है और समय के अंत में जिस टीम का सबसे अधिक स्कोर करती है, वही टीम इस मैच को जीत जाता है।
दोनों टीमों में -एक गोलकीपर होता हैं, जो विपक्षी टीम के गेंद को रोकने की कोशिश करते हैं कि उनका गेंद गोल ना हो पाए। इस खेल की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता की जाती है, जिसमें सभी देशों की टीमें हिस्सा लेती हैं। इस प्रतियोगिता को फीफा वर्ल्ड कप नाम से बुआलया जाता है अब तक 4 बार आयोजित हो चुकी है।
इस खेल को खेलने के लिए दोनों टीमों में 11 खिलाड़ी होते हैं, जो अपने विपक्षी टीम के खिलाडी गोल करने की कोशिश करते हैं ,इस खेल को जिस खेल से खेला जाता है। उसका आकार गोल होता है ,और इस खेल में खेलने के लिए कई तरह के नियम बने हैं सभी खिलाड़ियों को उन नियम के तहत ही खेलने की जरूर होती है, यदि कोई खिलाड़ी और खेल के नियम के विपक्ष खेलता है तो उस खिलाड़ी को गेम से बाहर कर दिया जाता है।
इस खेल को खेलने के लिए आपको सिर्फ अपने पैरों का इस्तेमाल किया जाता है, कोई भी खिलाड़ी अपने हाथ या कंधों का इस्तेमाल कर गोल नहीं कर सकता है। गेंद को रोकने या मारने के लिए यह इस खेल का यह पहला नियम माना जाता है। हाथ और अपने कंधों का इस्तेमाल करने का अधिकार सिर्फ गोलकीपर को ही होता है, क्योंकि उसी को अनुमति है इन सभी का इस्तेमाल करने के लिए।
एक दल में स्ट्राइकर डिफेंडर मिडफील्डर और गोलकीपर होता शामिल होता है। इन सभी खिलाड़ियों का अलग-अलग कार्य होता है, जो इस खेल के नियम का पालन करता हैं। स्ट्राइकर का काम गोल करना या गेंद को मारना होता है, वही डिफेंडर का इस खेल में काम होता है कि वह विपक्षी टीम के खिलाड़ियों से गेंद को बचाएं और उससे विपक्षी टीम के खिलाड़ियों को आस पास में ना जाने दे और मिडफील्डर का काम विपक्षी दल के खिलाड़ियों के पास गेंद है तो उनसे उस गेंद को छीन लेना।
लेकिन यह जितने भी खिलाड़ी है, वह गेंद को मारने के लिए अपने हाथ और कंधे का इस्तेमाल करने का अधिकार इनके पास नहीं होता है। यह एक इस फुटबॉल खेल का नियम है। वह सिर्फ पैरों और अपने सर का इस्तेमाल करके ही गेंद को मार सकते हैं। लेकिन जो लास्ट खिलाड़ी है, जिसे गोलकीपर कहते है वह विपक्षी दल की गेंद को गोल होने से रोकता है जो गोलपोस्ट के पास खड़ा हुआ रहता है और यह खिलाड़ी अपने हाथ और कंधे का इस्तेमाल करके गेंद को रोक और पकड़कर रोकने का हक होता है।
इस खेल में फाउल के नियम भी शामिल हैं, यदि कोई खिलाड़ी कॉल करता है। तो उसको उसके काम के अनुसार से कार्ड दिखाया जाता है और उस कार्ड के तहत जो भी नियम लागू होता है वह उस खिलाड़ी को मानना पड़ता है। येलो और रेड कार्ड खिलाड़ी को दिखाया जाता है। यह लोग कार्ड उस खिलाड़ी को दिया जाता है ,जो किसी खिलाड़ी या अंपायर के साथ गलत व्यवहार करें, तो उसे येलो कार्ड दिखाकर फुटबॉल कोर्ट से बाहर कर दिया जाता हैं।
रेड कार्ड उस खिलाड़ी को दिखाया जाता है जो येलो कार्ड के बाद भी अपने उस व्यवहार को ठीक नहीं करता तो उसे रेड कार्ड दिखाकर मैदान के बाहर कर देते है और वह दोबारा अंदर भी नहीं आ सकता साथ ही वह ना ही उसके बदले कोई अन्य खिलाड़ी उसकी जगह ले सकता है। इससे टीम का एक खिलाड़ी कम हो जाता है, टीम को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता हैं।
फुटबॉल मैच दो टीम के बीच खेला जाता है जिसमें दोनों टीमों के पास 11-11 खिलाड़ी होते हैं। दोनों टीमों के पास 11-11 खिलाड़ी अपने गोल पोस्ट पर गोल बचाने और दूसरे गोल पोस्ट में गोल करनें का प्रयास करते हैं। यह खेल कुल 90 मिनट का होता है, जिसमे 45 मिनट का ब्रेक होता है, तथा 45-45 मिनट में दो हाफ दिए जाते है। इन दोनों हाफ में कुछ समय अलग से मिलता है, जिसे आवश्यकता पड़नें पर प्रयोग किया जा सकता है।
जैसे क्रिकेट के खेल में अंपायर के समान फुटबॉल के खेल में रेफरी को सारे अधिकार दिए जाते है, तथा रेफरी का लास्ट निर्णय ही मानना होता है। मैच के दौरान सहायक रेफरी भी होता है, जो रेफरी की हेल्प करता है। खेल प्रारम्भ होने का निर्णय टॉस करने से तय किया जाता है। इसमें टॉस जीतने वाला कप्तान ही तय करता है, कि उसकी टीम गोल पोस्ट पर हमला करना चाहती है या फिर गेंद को किक मारेगी। जब भी मैच में कोई गोल होता है, तो गेंद को सेंटर लाइन पर रखकर दोबारा से खेल को शुरू किया जाता है।
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